उत्तराखण्ड के राजकीय चिन्ह

उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद राज्य के राज्य-चिह्न और राज्य प्रतीकों का निर्धारण वर्ष 2001 में किया गया। राज्य पशु – कस्तूरी मृग, राज्य पक्षी- मोनाल ,राज्य पुष्प – ब्रह्मकमल और राज्य वृक्ष – बुराँस घोषित किये गये हैं।

uttarakhand-logoराज्य चिह्न

बाय़ें और लगे चिन्ह को उत्तराखण्ड के राजकीय चिन्ह के रुप में अंगीकृत किया गया है। , जिसमें ऊपर के पहाड़ हिमालय की विराटता को प्रदर्शित करते हैं और इसमें दिखाई गई चार लहरें गंगा की लहरें हैं। जो उत्तराखण्ड के पहाड़ों से निकल कर मैदानों को सिंचित कर उत्तराखण्ड की उदारता और हृदय की विराटता को प्रदर्शित करती हैं। यह चिह्न उत्तराखंड शासन के सभी दस्तावेजों में प्रयुक्त किया जाता है।

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राज्य पुष्प – ब्रह्मकमल

ब्रह्म कमल का उल्लेख वेदों में भी मिलता है। जैसा कि नाम से ही विदित है, ब्रह्म कमल नाम उत्पत्ति के देवता ब्रह्मा जी के नाम पर रखा गया है। इसे “सौसूरिया अब्वेलेटा” (Saussurea obvallata) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक बारहमासी पौधा है। यह ऊंचे चट्टानों और दुर्गम क्षेत्रों में उगता है। यह कश्मीर, मध्य नेपाल, उत्तराखण्ड में  फूलों की घाटी, केदारनाथ-शिवलिंग क्षेत्र आदि स्थानों में बहुतायत में होता है। यह 3600 से 4500 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है। पौधे की ऊंचाई 70-80 सेंटीमीटर होती है। जुलाई और सितम्बर के मध्य यह फूल खिलता है और जहां पर वह खिलता है उसके आस-पास का क्षेत्र सुगन्धित हो जाता है। फूल के चारों ओर कुछ पारदर्शी ब्लैंडर के समान पत्तियों की रचना होती है। जिसको स्पर्श करने से ही इसकी सुगन्ध कई घण्टों तक अनुभव की जाती है, इस पौधे की जड़ों में कई औषधीय तत्व भी होते हैं। महाभारत और पौराणिक साहित्य में इस दिव्य पुष्प का कई जगह उल्लेख मिलता है। महाभारत के वन पर्व में इसे ‘सौगन्धिक पुष्प’ कहा गया है। उत्तराखंड की स्थानीय भाषा में इसे ‘कौंल पद्म’ कहते हैं। हिमालय के देवमन्दिरों में इसे चढ़ाने का विधान है। कई मन्दिरों में यह प्रसाद के रूप में भक्तों में वितरित किया जाता है।

राज्य पशु – कस्तूरी मृग

कस्तूरी मृग प्रकृति के सुन्दरतम जीवों में है। इसका वैज्ञानिक नाम ‘मास्कस क्राइसोगौस्टर” (Moschus Chrysogaster) है। भारत में कस्तूरी मृग, जो कि एक लुप्तप्राय जीव है, कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल के केदार नाथ, फूलों की घाटी, हरसिल घाटी तथा गोविन्द वन्य जीव विहार एवं सिक्किम के कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित रह गया है। इसे हिमालयन मस्क डियर के नाम से भी जाना जाता है। kasturiइस मृग की नाभि में अप्रतिम सुगन्धि वाली कस्तूरी होती है, जिसमें भरा हुआ गाढ़ा तरल पदार्थ अत्यन्त सुगन्धित होता है। कस्तुरी ही इस मृग को विशिष्टता प्रदान करती है। हिमालय क्षेत्र में यह देवदार, फर, भोजपत्र एवं बुरांस के वनों में लगभग ३६०० मी. से ४४०० मीटर की ऊँचाई पर पाया जाता है। कंधे पर इसकी ऊँचाई ४० से ५० से.मी. होती है। इसका रंग भूरा होता है और उस पर काले-पीले धब्बे होते हैं। इस मृग के सींग नहीं होते है तथा उसके स्थान पर नर के दो पैने दाँत जबड़ों से बाहर निकले रहते हैं। जिनका उपयोग यह आत्मरक्षा और जड़ी-बूटियों को खोदने में करता है। इस मृग का शरीर घने बालों से ढ़का रहता है। मादा वर्ष में एक या दे बार १-२ शावकों को जन्म देती है। इसमें कस्तूरी एक साल की आयु के बाद ही बनती है। एक मृग में सामान्यत: 30 से 45 ग्राम तक कस्तूरी पायी जाती है। नर मृग के निचले भाग में जननांग के समीप एक ग्र्ंथि से एक रस स्रावित होता है जो चमड़ी के नीचे स्थित एक थलीनुमा स्थान पर एक्त्रित होता रहता है। इस थेली से ही कस्तूरी प्राप्त होती है। कस्तूरी से बनने वाला इत्र अपनी सुगन्ध के लिये प्रसिद्ध है। औषधि उद्योग में कस्तूरी को दमा, मिरगी, क्राकायुरिस, निमोनिया, टाइफाइड और ह्रदय रोग के लिये बनाई जाने वाली दवाइयों में प्रयोग किया जाता है।

इसके सूंघने  की शक्ति बहुत तेज होती है। इसी कारण किसी भी खतरे को भांप कर यह बहुत तेजी से दौड़ पड़ता है  लेकिन दौड़ते समय 40-50 मीटर आगे जाकर पीछे मुड़कर देखने की आदत ही इसके जीवन के लिये खतरा बन जाती है।आम मृग से अलग इस प्रजाति के मृग संख्या में भी काफी कम हैं। किसी समय में यह उत्तराखंड के लगभग सभी हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता था लेकिन अब इसकी सीमित संख्या चमोली, उत्तरकाशी एवं पिथौरागढ़ जनपद तक ही सिमट गयी है। कस्तूरी मृग संरक्षण के लिये उत्तर प्रदेश सरकार ने सन 1972 में केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के अंतर्गत ‘कस्तूरी मृग विहार’ की स्थापना की जिसका क्षेत्रफल 967.2 वर्ग किलोमीटर है। अभयारण्य बनाने के बाद भी जब इसके शिकार में कोई कमी नहीं आयी कस्तूरी मृग को बचाने के लिये सन 1982 में केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के अंतर्गत ही ‘काँचुला खर्क’ में कस्तूरी मृग प्रजनन केन्द्र की स्थापना की गयी। इसी तरह पिथौरागढ़ जिले में ‘अस्कोट कस्तूरी अभयारण्य’ की स्थापना की गयी।

burans_a राज्य वृक्ष – बुराँस

बुराँस मध्यम ऊँचाई का सदापर्णी वृक्ष है। यह हिमालय क्षेत्र से लगभग १५०० मीटर से ३६०० मीटर की ऊँचाई पर पाया जाता है। इसकी पत्तियाँ मोटी एवं पुष्प घंटी के आकार के लाल रंग के होते हैं। मार्च-अप्रैल में जब इस वृक्ष में पुष्प खिलते हैं तब यह अत्यन्त शोभावान दिखता है। इसके पुष्प औषधीय गुणों से परिपूर्ण होते हैं जिनका प्रयोग कृषि यन्त्रों के हैन्डल बनाने तथा ईंधन के रुप में करते हैं। इसके फूलों से बनाया गया शर्बत हृदय रोगियों के लिये लाभदायक माना जाता है। इसकी तासीर ठंडी मानी जाती है। इसके फूलों का उपयोग रंग बनाने में भी किया जाता है। बुरांस पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष वृक्ष हैं जिसकी प्रजाति अन्यत्र नहीं पाई जाती है।  घने हरे पेड़ों पर बुराँस के सुर्ख लाल रंग के फूल जंगल को जैसे लाल जोड़े में लपेट देते हैं। बुराँस सुंदरता का, कोमलता का और रूमानी भावनाओं का संवाहक फूल माना जाता है। बुराँस में सौंदर्य के साथ महत्व भी जुड़ा है। इन फूलों का दवाइयों में इस्तेमाल के बारे में तो सब जानते ही हैं, पर्वतीय इलाकों में पानी के स्रोतों को बनाए रखने में इनकी बड़ी भूमिका है। बुराँस, उत्तराखण्ड का राज्य वृक्ष है। बुराँस के प्रति कवि और साहित्यकारों के प्रेम के बारे में आप यहां पढ़ सकते हैं।

राज्य पक्षी- मोनाल
monalहिमालय के मोर नाम से प्रसिद्ध मोनाल उत्तराखंड ही नहीं अपितु विश्व के सुन्दरतम पक्षियों में से एक है। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में रहने वाला पक्षी मोनाल या हिमालयी मोनाल ‘लोफोफोरस इम्पीजेनस’  (Lophophorus Impejanus) अति सुन्दर और आकर्षक पक्षी है। यह ऊँचाई पर घने जंगलों में पाया जाता है। यह अकेले अथवा समूहों में रहता है। नर का रंग नीला भूरा होता है एवं सिर पर तार जैसी कलगी होती है। मादा भूरे रंग की होती है। यह भोजन की खोज में पंजों से भूमि अथवा बर्फ खोदता हुआ दिखाई देता है। कंद, तने, फल-फूल के बीज तथा कीड़े-मकोड़े इसका भोजन है। मोनाल उन पक्षियों में है जिसके दर्शन विशिष्ट स्थानों पर भी कम संख्या में होते हैं। यह नेपाल का राष्ट्रीय पक्षी भी है। मोनाल को स्थानीया भाषा में ‘मन्याल’ व ‘मुनाल’ भी कहा जाता है।

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2 Thoughts to “उत्तराखण्ड के राजकीय चिन्ह”

  1. bal krishna kala

    आपके इस प्रयास से उत्‍तराखण्‍ड की हर व्‍यक्ति को जानकारी होगी। इसके लिए आपको बहुत बहुत बधाई देता हुं।
    धन्‍यवाद
    बाल कृष्‍ण काला
    उत्‍तराखण्‍ड जन एकता
    दिल्‍ली
    मो0 9555940613

  2. Premanand Bharati

    The information z very knowledgefull.

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